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वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर जलती चिताओं के बीच भक्तों ने खेली चिता भस्म की होली

हर साल रंगभरी एकादशी के अगले दिन महाश्मशान मणिकर्णिका पर चिता भस्म की होली होती है. मान्यता है कि रंगभरी एकादशी के दिन माता पार्वती का गौना कराने के बाद महादेव देवों और भक्तों के साथ होली खेलते हैं.

Published: March 16, 2022 7:45 PM IST

By Nikhil Khattar | Edited by Video Desk


Mahashamshan Varanasi Holi: महाश्मशान मणिकर्णिका घाट (manikarnika ghat) पर चिता भस्म की होली खेली जा रही है. मान्यता है कि रंगभरी एकादशी के दिन माता पार्वती का गौना कराने के बाद महादेव देवों और भक्तों के साथ होली खेलते हैं, लेकिन भूत-प्रेत, पिशाच (mahashamshan ghat holi) आदि के साथ होली नहीं खेल पाते. इसलिए अगले दिन महादेव मणिकर्णिका घाट पर नहाने आते हैं और अपने गणों के साथ चिता भस्म से होली खेलते हैं. काशी (Kashi) में देवस्थान और महाश्मसान (Mahashamshan) का महत्व एक जैसा ही है. हर साल रंगभरी एकादशी के अगले दिन महाश्मशान मणिकर्णिका पर चिता भस्म की होली होती है. लेकिन माहौल बनाने के लिए रंगभरी (Mahashamshan holi in varanasi)) एकादशी के दिन भी हरिश्चंद्र घाट के श्मशान पर चिता की राख से होली खेलकर काशी में चिता-भस्म की होली की शुरुआत हो जाती है. इसी दिन से बनारस में रंग-गुलाल खेलने का सिलसिला भी शुरू हो जाता है जो कि लगातार 6 दिनों तक चलता है. इस खबर के बारे वीडियो में विस्तार से जानें.

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Published Date: March 16, 2022 7:45 PM IST