फिल्मी दुनिया से लेकर, Cartoonist और लेखक तक जब हिन्दू देवी-देवताओं का अपमान करते हैं तो सन्नाटा क्यों होता है?
फिल्मी दुनिया से लेकर, Cartoonist और लेखक तक जब हिन्दू देवी-देवताओं का अपमान करते हैं तो सन्नाटा क्यों होता है?
हिन्दू देवी और देवताओं के अपमान पर सब क्यों चुप हैं? क्या कारण है कि हिंदुओं के देवी देवताओं को लेकर बनाई जाने वाली फिल्मों पर लोगों के प्रतिक्रिया नहीं आती है? फिल्म-मेकर लीना मणि-मेकलई ने अपनी एक नई Documentary का पोस्टर रिलीज़ किया है, जिसमें देवी काली का अपमान किया गया है, लेकिन सब तरफ सन्नाटा है.
जब हिन्दू देवी-देवताओं का अपमान किया जाता है तो देश में सन्नाटा क्यों छा जाता है? क्या यह अभिव्यक्ति की आज़ादी है? क्या यह Creative Freedom है? इस पर किसी को कैसे कोई आपत्ति हो सकती है. भारत का संविधान देश के 140 करोड़ भारतीयों को बराबर मानता है. लेकिन फिर ऐसा क्यों है कि जब नूपुर शर्मा एक टीवी डिबेट में पैगम्बर मोहम्मद साहब पर टिप्पणी करती हैं तो तमाम मुस्लिम देश इसके विरोध में भारत के प्रति अपनी आपत्ति दर्ज कराते हैं. उदयपुर और अमरावती में नूपुर शर्मा का समर्थन करने पर लोगों की हत्या कर दी जाती है. देश का एक खास वर्ग और सुप्रीम कोर्ट भी इस पर अपनी नाराज़गी जताता है, लेकिन हिन्दू देवी और देवताओं के अपमान पर सब क्यों चुप हैं? Watch Video
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