बाइडन ने संयुक्त राष्ट्र में कहा- अमेरिका अफ़ग़ानिस्तान से वापस लौटा, अब कोई नया युद्ध नहीं चाहता

चीन के साथ बढ़ते तनाव पर अमेरिका ने कहा कि वह कोई नया युद्ध नहीं चाहता है.

Published: September 21, 2021 10:15 PM IST

By India.com Hindi News Desk | Edited by Zeeshan Akhtar

US President Joe Biden

संयुक्त राष्ट्र: अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपना पहला संबोधन देते हुए यह घोषणा की कि दुनिया ‘‘इतिहास में एक बदलाव के बिंदु’’ पर है और उसे कोविड-19 महामारी, जलवायु परिवर्तन और मानवाधिकार हनन के मुद्दों से निपटने के लिए तेजी से सहयोगात्मक रूप से आगे बढ़ना चाहिए. चीन को लेकर बढ़ते तनाव के बीच बाइडन ने यह भी घोषणा की कि अमेरिका ‘‘एक नया शीतयुद्ध नहीं चाहता है.’’

बाइडन ने चीन का सीधे उल्लेख किये बिना दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव को लेकर बढ़ती चिंताओं को स्वीकार किया. हालांकि उन्होंने कहा, ‘‘हम एक नया शीतयुद्ध या कठोर ब्लॉक में विभाजित दुनिया नहीं चाहते हैं.’’ बाइडन ने पिछले महीने अफगानिस्तान में अमेरिका के सबसे लंबे युद्ध को समाप्त करने के अपने फैसले का उल्लेख किया और अपने प्रशासन के लिए दुनिया के सामने उत्पन्न संकटों से निपटने के लिए एक रूपरेखा तय की. उन्होंने कहा कि वह इस विश्वास से प्रेरित हैं कि ‘‘अपने लोगों की बेहतरी के लिए हमें बाकी दुनिया के साथ भी गहराई से जुड़ना चाहिए.’’

बाइडन ने कहा, ‘‘हमने अफगानिस्तान में 20 साल से चल रहे संघर्ष को खत्म कर दिया है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे में जब हमने इस युद्ध को समाप्त किया है, हम अपनी विकास सहायता का इस्तेमाल दुनिया भर में लोगों के उत्थान के लिए करने की कूटनीति के एक नए युग की शुरुआत कर रहे हैं.’’

बाइडन मंगलवार के अपने संबोधन से पहले महासचिव एंतोनियो गुतारेस से मिलने के लिए सोमवार शाम न्यूयॉर्क पहुंचे थे. बाइडन ने इतिहास के एक कठिन समय इस वैश्विक निकाय की प्रासंगिकता और आकांक्षा का पूरी तरह से समर्थन की पेशकश की. राष्ट्रपति के पद पर रहते हुए बाइडन को अफगानिस्तान में अमेरिकी युद्ध की समाप्ति के तरीके को लेकर अपने सहयोगियों की असहमति का सामना करना पड़ा है. उन्हें कोरोना वायरस के मद्देनजर यात्रा प्रतिबंधों और इसे लेकर भी मतभेदों का सामना करना पड़ा है कि कोविड-19 रोधी टीके को विकासशील देशों के साथ कैसे साझा करना चाहिए. साथ ही चीन द्वारा सैन्य और आर्थिक कदमों का जवाब देने के सर्वोत्तम तरीके को लेकर भी सवाल उठाये गए हैं.

ऑस्ट्रेलिया को परमाणु-संचालित पनडुब्बियों से लैस करने की योजना की घोषणा करने के बाद बाइडन ने खुद को अमेरिका के सबसे पुराने सहयोगी फ्रांस के साथ एक नये कूटनीतिक विवाद में फंसा पाया है. चीनी सेना की बढ़ती आक्रामकता को लेकर बढ़ती चिंता के बीच इस कदम से ऑस्ट्रेलिया को प्रशांत क्षेत्र में गश्त करने की बेहतर क्षमता मिलने की उम्मीद है.

फ्रांस के विदेश मंत्री जीन वाई ले द्रियन ने कहा कि इस प्रकरण के परिणामस्वरूप अमेरिका के साथ ‘‘विश्वास का संकट’’ है. बाइडन के आगमन से पहले, यूरोपीय संघ परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल ने यूरोप को ‘‘हिंद-प्रशांत क्षेत्र में खेल से बाहर’’ छोड़ने और ट्रांस-अटलांटिक गठबंधन के अंतर्निहित तत्वों की अनदेखी करने के लिए बाइडन प्रशासन की कड़ी आलोचना की.

इस तरह के मतभेदों के बावजूद, बाइडन को उम्मीद थी कि वह महासभा में अपने संबोधन और इस सप्ताह आम सभा के साथ-साथ विश्व नेताओं के साथ आमने-सामने और बड़ी बैठकों का इस्तेमाल विश्व मंच पर अमेरिकी नेतृत्व को मजबूती प्रदान करने के लिए कर सकेंगे. व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जेन साकी ने कहा, ‘‘असहमति के बिंदु हैं, जब हम अन्य देशों द्वारा किए जा रहे निर्णयों से असहमत होते हैं, जब हम अन्य देशों द्वारा द्वारा लिए जा रहे निर्णयों से असहमत होते हैं. लेकिन यहां बड़ा मुद्दा यह है कि हम उन गठबंधनों के लिए प्रतिबद्ध हैं और इसके लिए हमेशा हर राष्ट्रपति से, हर वैश्विक नेता से काम की आवश्यकता होती है.’’

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