कोरोना का डेल्टा वेरिएंट बेहद खतरनाक, चेचक की तरह आसानी से बन सकता है गंभीर संक्रमण का कारण- रिपोर्ट

Coronavirus Delta Variant: कोरोना का डेल्टा स्वरूप, वायरस के अन्य सभी ज्ञात स्वरूपों की तुलना में अधिक गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है और चेचक की तरह फैल सकता है.

Updated: July 30, 2021 11:59 PM IST

By India.com Hindi News Desk

delta variant in karnataka
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Coronavirus Delta Variant: कोरोना का डेल्टा स्वरूप, वायरस के अन्य सभी ज्ञात स्वरूपों की तुलना में अधिक गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है और चेचक की तरह फैल सकता है. अमेरिकी स्वास्थ्य प्राधिकार के एक आंतरिक दस्तावेज का हवाला देते हुए मीडिया की खबरों में ऐसा कहा गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (CDC) के दस्तावेज में अप्रकाशित आंकड़ों के आधार पर दिखाया गया है कि टीके की सभी खुराकें ले चुके लोग भी बिना टीकाकरण वाले लोगों जितना ही डेल्टा स्वरूप को फैला सकते हैं. सबसे पहले भारत में डेल्टा स्वरूप की पहचान की गई थी.

सबसे पहले ‘द वाशिंगटन पोस्ट’ ने इस दस्तावेज के आधार पर रिपोर्ट प्रकाशित की. CDC की निदेशक डॉ. रोशेल पी वालेंस्की ने मंगलवार को माना कि टीका ले चुके लोगों की नाक और गले में वायरस की मौजूदगी उसी तरह रहती है जैसे कि टीका नहीं लेने वालों में. आंतरिक दस्तावेज में वायरस के इस स्वरूप के कुछ और गंभीर लक्षणों की ओर इशारा किया गया है.

दस्तावेज के अनुसार, डेल्टा स्वरूप, ऐसे वायरस की तुलना में अधिक फैलता है जो मर्स, सार्स, इबोला, सामान्य सर्दी, मौसमी फ्लू और बड़ी माता का कारण बनता है, और यह चेचक की तरह ही संक्रामक है. दस्तावेज की एक प्रति ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने भी हासिल की है. दस्तावेज के मुताबिक बी.1.617.2 यानी डेल्टा स्वरूप और गंभीर बीमारी पैदा कर सकता है.

‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने एक संघीय अधिकारी का हवाला देते हुए कहा कि दस्तावेज के निष्कर्ष ने डेल्टा स्वरूप को लेकर सीडीसी के वैज्ञानिकों की चिंताएं बढ़ा दी हैं. अधिकारी ने कहा, ‘सीडीसी डेल्टा स्वरूप को लेकर आंकड़ों से बहुत चिंतित है. यह स्वरूप गंभीर खतरे का कारण बन सकता है, जिसके लिए अभी कदम उठाने की आवश्यकता है.’

सीडीसी द्वारा 24 जुलाई तक एकत्र किए गए आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका में 16.2 करोड़ लोगों का टीकाकरण हो चुका है और हर सप्ताह लक्षण वाले करीब 35,000 मामले आ रहे हैं. लेकिन एजेंसी मामूली या बिना लक्षण वाले मामलों की निगरानी नहीं करती है, इसलिए वास्तविक मामले अधिक हो सकते हैं.

(इनपुट: भाषा)

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