
Emmanuel Macron: फ्रांस के नए जमाने के नेपोलियन मैक्रों का ऐसा है सफरनामा
इमैनुएल मैक्रों लगातार दूसरी बार चुनाव जीतकर फ्रांस के राष्ट्रपति बन गए हैं. पिछले 2 दशक में ऐसा करने वाले वह पहले राष्ट्रपति हैं. साल 2017 में जब वह देश के राष्ट्रपति बने थे तो उस समय में फ्रांस के सबसे कम उम्र के राष्ट्रपति थे. वह नेपोलियन के बाद सबसे कम उम्र के हेड ऑफ द स्टेट बने थे. चलिए जानते हैं नए जमाने के नेपोलियन के बारे में सब कुछ

इमैनुएल मैक्रों (Emmanuel Macron) रविवार को हुए राष्ट्रपति चुनाव (Presidential Election) में जीत दर्ज करके लगातार दूसरी बार फ्रांस के राष्ट्रपति चुने गए हैं. पिछले दो दशक में वह पहले राष्ट्रपति हैं, जो लगातार दूसरी बार चुनाव जीते हैं. हालांकि दक्षिणपंथी नेता मरीन ली पेन (Marine Le Pen) ने उन्हें कड़ी टक्कर दी, लेकिन दोनों उन्हें सिर्फ 41.8 फीसद वोट ही मिले, जबकि मैक्रों को 58.2 फीसद लोगों ने पसंद किया. मैक्रों ने एक बार फिर राष्ट्रपति चुने जाने के बाद देश की जनता को धन्यवाद किया. चुनाव में जीत मिलने के बाद वह पत्नी ब्रिगिट के साथ राजधानी पेरिस स्थित एफिल टावर के नीचे पहुंचे, जहां उनके समर्थकों का हुजूम उमड़ा था. पूर्व में बैंकर रह चुके इमैनुएल मैक्रों पांच साल पहले सिर्फ 39 वर्ष की उम्र में राष्ट्रपति बने थे. जानते हैं मैक्रों के बारे में सब कुछ.
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मैंक्रों पहले ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्हें सोशलिस्ट और गुआलिस्ट्स किसी का भी समर्थन हासिल नहीं था, फिर भी साल 2017 में वह चुनाव जीतकर राष्ट्रपति बने थे. साल 2017 में जब इमैनुएल मैक्रों ने राष्ट्रपति पद संभाला तो वह नेपोलियन के बाद सबसे कम उम्र के हेड ऑफ द स्टेट बन गए थे. राष्ट्रपति चुनाव 2022 में जीत मिलने के साथ ही वह पिछले 20 वर्षों में राष्ट्रपति रहते हुए चुनाव जीतने वाले पहले शख्स बन गए हैं.
बचपन में होनाहार पूत थे मैक्रों
मैक्रों का जन्म डॉक्टरों के परिवार में हुआ और वह तीन भाई-बहनों में सबसे बड़े हैं. उनकी पढ़ाई एक प्राइवेट स्कूल में हुई और वह पढ़ने में बहुत होशियार थे, यानी होनाहार पूत थे. उनका अपनी ड्रामा टीचर (ब्रिगिटी) से लंबे समय तक अफेयर चला और फिर साल 2007 में दोनों ने शाद कर ली. उन्होंने फिलॉसफर और इतिहासकार पॉल रिकॉर के साथ एडिटोरियल असिस्टेंट के तौर पर भी काम किया है. साल 2001 में उन्होंने पब्लिक पॉलिसी और पॉलिटिकल साइंस में मास्टर डिग्री ली. साल 2004 में मैक्रों मशहूर राष्ट्रीय प्रशासनिक स्कूल के टॉपरों में रहे. बता दें कि इस स्कूल को पॉलिटिकल पॉवर हासिल करने का फास्ट ट्रैक भी माना जाता है, पूर्व राष्ट्रपति वलेरि जिसकार्ड डीस्टैंग, जैक्स चिरैक और फ्रैंकॉइज हौलांदे ने यहीं से पढ़ाई की थी.
फ्रांस के वित्त मंत्री तक का सफर
साल 2004 में उन्होंने फ्रांस की इकोनॉमी एंड फाइनांस मिनिस्ट्री में फाइनांस इंस्पेक्टर के तौर पर काम शुरू किया. चार साल बाद उन्होंने रोथचाइल्ड एंड सी बैंक में नौकरी शुरू की. साल 2012 में उन्होंने फाइजर के 12 अरब डॉलर के बेबी फूड डिवीजन के अधिग्रहण में नेस्ले की मदद की. माना जाता है कि इस डील में मैक्रों को 38 लाख डॉलर मिले थे. रोथचाइल्ड में रहते हुए ही उन्होंने हैलांदे के साथ काम करना शुरू कर दिया था. बाद में उन्होंने 2012 के चुनाव में उनके लिए प्रचार भी किया. उन्हें सरकार में भी जगह मिली और आर्थिक सलाहकार बनाया गया. बाद में वह फ्रांस के वित्त मंत्री भी बने.
नए जमाने के नेपोलियन बने मैक्रों
फ्रांस में हौलांदे सरकार से लोगों का विश्वास उठने लगा था और मैक्रों भी उनसे दूरी बनाने लगे थे. लेकिन नवंबर 2015 में पेरिस आतंकी हमने के कारण वह सरकार का साथ छोड़ नहीं पाए. अप्रैल 2016 में उन्होंने आगे बढ़ने का निर्णय लिया. मैक्रों ने दोनों मौजूदा पार्टियों के बीच का रास्ता अपनाया, जिसमें पॉप्यूलिज्म और नियोलिबरिज्म दोनों थे. अगस्त 2016 में आखिरकार उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दिया और नवंबर में घोषणा कर दी कि वह राष्ट्रपति चुनाव लड़ेंगे. 23 अप्रैल को हुए पहले राउंड और 7 मई को हुई दूसरे राउंड में मैक्रों विजेता रहे. उन्हें दो दिहाई वोट मिले. इस तरह वह फ्रांस के सबसे कम उम्र के राष्ट्रपति बने.
मैक्रों ऐसे समय में फ्रांस के राष्ट्रपति बने, जब ब्रिटेन ब्रेक्जिट प्रोसेस को पूरा करने की कोशिश कर रहा था और उसे दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था. ठीक इसी समय जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल भी अपनी रिटायरमेंट की तरफ बढ़ रही थी. ऐसे समय में फ्रांस में मैक्रों जैसे करिश्माई युवा राष्ट्रपति ने यूरोपीय राजनीति में अपनी जगह बनाई. हालांकि, एक टैक्स प्लान, जिसके जरिए फ्रांस के अमीरों को सबसे ज्यादा फायदा हुआ, उसके कारण उन्हें अमीरों का राष्ट्रपति भी कहा गया.
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