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Pakistan: 'धमकी वाले पत्र’पर इमरान खान की 'जुबान फिसली'! अमेरिका की सफाई- आरोपों में कोई सच्चाई नहीं

पाकिस्‍तान में चल रहे राजनीतिक संकट के बीच पाकिस्‍तानी पीएम इमरान खान अपने संबोधन में धमकी वाले पत्र के लिए अमेरिका का नाम लिया

Published: March 31, 2022 11:44 PM IST

By India.com Hindi News Desk | Edited by Laxmi Narayan Tiwari

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Imran Khan in his address to the nation said what kind of a democracy is this where Open Horse-trading is being done.

Pakistan, US, Imran Khan: पाकिस्‍तान (Pakistan) में चल रहे राजनीतिक संकट (Political Crisis) के बीच पीएम इमरान खान (Imran Khan) ने अपने संबोधन में धमकी वाले पत्र के लिए अमेरिका (US)  का नाम लिया, जिसे उन्होंने अपनी सरकार को बेदखल करने की साजिश के कथित सबूत के तौर पर पेश किया है. ऐसा लगता है कि जुबान फिसलने के कारण उन्होंने अमेरिका का नाम लिया. इस बीच अमेरिका ने सफाई दी है कि इन आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है. हम पाकिस्तान की संवैधानिक प्रक्रिया और कानून के शासन का सम्मान और समर्थन करते हैं.

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अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने अपने एक ताजा बयान में न्‍यूज एजेंसी एएनआई से कहा, अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने एएनआई से कहा, “इन आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है. हम पाकिस्तान के घटनाक्रम का बारीकी से पालन कर रहे हैं. हम पाकिस्तान की संवैधानिक प्रक्रिया और कानून के शासन का सम्मान और समर्थन करते हैं.”

इमरान खान ने  धमकी के पीछे अमेरिका का नाम लिया

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने नेशनल असेंबली में बहुमत खोने के बावजूद बृहस्पतिवार को संकेत दिया कि वह इस्तीफा नहीं देंगे. साथ ही, जोर देते हुए कहा कि वह रविवार को होने वाले अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान का सामना करेंगे. राष्ट्र के नाम सीधे प्रसारण वाले एक संबोधन में खान (69) ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान का चाहे जो नतीजा आए, वह और अधिक मजबूत होकर लौटेंगे. खान ने ‘धमकी वाले एक पत्र’ पर भी चर्चा की, जिसे उन्होंने कथित तौर पर उनकी गठबंधन सरकार को गिराने के लिए विदेशी साजिश का ‘‘सबूत’’ बताया. उन्होंने इस इस धमकी के पीछे अमेरिका का नाम लिया, जो शायद जुबान फिसलने के कारण ऐसा हुआ.

कश्मीर का विशेष दर्जा हटाने के बाद हमारी नीति भारत विरोधी बन गई

खान ने कहा, ‘‘हमारी नीति अमेरिका विरोधी, यूरोप, या यहां तक कि भारत विरोधी नहीं थी…नई दिल्ली द्वारा अगस्त 2019 में अंतरराष्ट्रीय कानून को तोड़ने और कश्मीर का विशेष दर्जा हटाने के बाद यह भारत विरोधी बन गई.” भारत ने पाकिस्तान से बार-बार कहा है कि जम्मू कश्मीर, ”सदा ही देश (भारत) का अभिन्न अंग था, है और हमेशा रहेगा.’’ इमरान खान ने पत्र को सरकार के खिलाफ नहीं बल्कि अपने खिलाफ बताते हुए कहा, ‘‘पत्र में कहा गया है कि अविश्वास प्रस्ताव सौंपने से पहले ही पेश किया जा रहा है, जिसका मतलब है कि विपक्ष उनके संपर्क में था.’’

यह एक ‘‘आधिकारिक पत्र’’ था जिसे पाकिस्तान के राजदूत को भेजा गया था

खान ने कहा कि यह एक ‘‘आधिकारिक पत्र’’ था जिसे पाकिस्तान के राजदूत को भेजा गया था, जो बैठक के दौरान (नोट) टिप्पणी लिख रहे थे. उन्होंने कहा कि विदेशी अधिकारी जानते हैं कि उनके बाद सत्ता में आने वालों को बाहरी ताकतों से आदेश लेने में कोई दिक्कत नहीं होगी.

यहां बैठे हमारे लोग विदेशी ताकतों के संपर्क में हैं

इमरान खान ने कहा, ‘‘लेकिन सबसे ज्यादा परेशान करने वाली बात यह है कि यहां बैठे हमारे लोग विदेशी ताकतों के संपर्क में हैं. ’’ उन्होंने इस संबंध में पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के अध्यक्ष शहबाज शरीफ, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के सह अध्यक्ष आसिफ अली जरदारी और जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम के मौलाना फजलुर रहमान का हवाला दिया।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘क्या दूसरे देश ऐसे भ्रष्ट लोगों को अपने राज्यों में सत्ता में चाहते हैं? वे ऐसे भ्रष्ट नेताओं को स्वीकार करने के लिए तैयार हैं, लेकिन मैं उन्हें स्वीकार्य नहीं हूं.’’ खान ने कहा कि वह आखिरी गेंद तक खेलेंगे और रविवार को अविश्वास प्रस्ताव तय करेगा कि देश किस दिशा में जाएगा.

अपने दम पर रूस जाने का फैसला किया

प्रधानमंत्री ने कहा कि राजदूत को बताया गया था कि अगर इमरान खान सत्ता में बने रहते हैं तो पाकिस्तान को ‘कठिनाइयों’ का सामना करना पड़ेगा. खान ने कहा, ‘‘मैं आज अपने राष्ट्र से कह रहा हूं कि यह हमारी हालत है. हम 22 करोड़ आबादी वाला देश हैं और दूसरा देश…वे (धमकी देने का) कोई कारण नहीं बता रहे हैं. उन्होंने कहा है कि इमरान खान ने अपने दम पर रूस जाने का फैसला किया, भले ही विदेश कार्यालय और सैन्य नेतृत्व से सलाह ली गई हो.’’

रूस का दौरा करने का निर्णय परामर्श के बाद किया गया था

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हमारे राजदूत ने उन्हें फैसले के बारे में बताया (कि रूस का दौरा करने का निर्णय परामर्श के बाद किया गया था) लेकिन वे इससे इनकार कर रहे हैं और कह रहे हैं कि ‘यह केवल इमरान खान की वजह से हुआ और अगर वह रहते हैं तो हमारे संबंध अच्छे नहीं हो सकते।’ वे वास्तव में यह कह रहे हैं कि उन्हें उन लोगों से कोई समस्या नहीं है जो इमरान खान की जगह लेंगे.’’

तो पाकिस्तान को माफ कर दिया जाएगा

खान ने अपने संबोधन में कहा कि यह पत्र सरकार के खिलाफ नहीं उनके खिलाफ था. खान ने कहा, इस पत्र में कहा गया है कि अगर अविश्वास प्रस्ताव पारित होता है तो पाकिस्तान को माफ कर दिया जाएगा, अगर ऐसा नहीं किया गया तो परिणाम भुगतने होंगे. खान ने कहा कि यह एक आधिकारिक पत्र था, जिसे पाकिस्तान के राजदूत को भेजा गया था, जो बैठक के दौरान (नोट) टिप्पणी लिख रहे थे. प्रधानमंत्री ने कहा कि राजदूत को बताया गया था कि अगर इमरान खान सत्ता में बने रहते हैं तो पाकिस्तान को ‘कठिनाइयों’ का सामना करना पड़ेगा.

175 सांसदों का समर्थन हासिल होने का दावा किया

खान को प्रधानमंत्री पद से बेदखल करने की विपक्ष की कोशिश को नाकाम करने के लिए 342 सदस्यीय संसद के निचले सदन (नेशनल असेंबली) में 172 वोट की जरूरत है. हालांकि, विपक्ष ने अपने पक्ष में 175 सांसदों का समर्थन हासिल होने का दावा किया और प्रधानमंत्री से फौरन इस्तीफा देने की मांग की है.

कोई भी प्रधानमंत्री पांच साल का अपना पूर्ण कार्यकाल पूरा नहीं कर सका

बता दें कि कोई भी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री पांच साल का अपना पूर्ण कार्यकाल पूरा नहीं कर सका है. साथ ही, पाकिस्तान के इतिहास में कोई भी प्रधानमंत्री अविश्वास प्रस्ताव के जरिये सत्ता से बेदखल नहीं हुआ है और खान इस चुनौती का सामना करने वाले तीसरे प्रधानमंत्री हैं.

अमेरिका ने कहा पाकिस्तान को कोई पत्र नहीं भेजा

वहीं, अमेरिका ने जोर देकर कहा है कि उसने देश में मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर पाकिस्तान को कोई पत्र नहीं भेजा. साथ ही, उसने इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के पीछे अमेरिका का हाथ होने के आरोपों का खंडन करने की भी मांग की है. अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा कि किसी भी अमेरिकी सरकारी एजेंसी या अधिकारी ने देश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर पाकिस्तान को पत्र नहीं भेजा है.

सरकार को गिराने के लिए रची गई अंतरराष्ट्रीय साजिश

दें कि इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के नेतृत्व वाली सरकार ने पुष्टि की कि विदेशी साजिश के बारे में उसका आरोप विदेश में स्थित उसके दूतावासों में से एक से प्राप्त एक राजनयिक संदेश पर आधारित था. इस्लामाबाद में रविवार को आयोजित एक विशाल जनसभा में, खान ने अपनी जेब से कागज का एक टुकड़ा निकाला था और भीड़ के सामने इसे लहराते हुए दावा किया कि यह उनकी सरकार को गिराने के लिए रची गई अंतरराष्ट्रीय साजिश का सबूत है.

(इनपुट: भाषा-एएनआई)

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