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म्यामांर में सैन्य शासन का एक साल: मौत, खतरा और गुमशुदगी हावी, तंग आए आम लोग भी उठा रहे हथियार

म्यांमार की सेना द्वारा देश के लोकतांत्रिक चुनाव परिणामों को खारिज किये जाने और एक फरवरी 2021 को सत्ता पर कब्जा कर लेने, देशव्यापी शांतिपूण प्रदर्शनों पर सुरक्षा बलों की हिंसक कार्रवाई ने राष्ट्रव्यापी मानवीय संकट पैदा कर दिया.

Published: January 30, 2022 7:59 PM IST

By India.com Hindi News Desk | Edited by Zeeshan Akhtar

12 people including 3 Cops from Myanmar arrived to take refuge in Mizoram india
म्यांमार में एक साल पहले सैन्य शासन लौट आया था.

जकार्ता: बमबारी के बीच एक बूढ़ी महिला को भागने के लिए मजबूर होना पड़ा. एक पूर्व शांति वार्ताकार ने म्यांमार सुरक्षा बलों से लड़ने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी. शांतिपूर्ण प्रदर्शनों के दौरान एक महिला के पति को गोली मार दी गई, जिससे अपने दो बच्चों की देखभाल के लिए वह अकेली रह गई. म्यांमार की सेना द्वारा देश के लोकतांत्रिक चुनाव परिणामों को खारिज किये जाने और एक फरवरी 2021 को सत्ता पर कब्जा कर लेने, देशव्यापी शांतिपूण प्रदर्शनों पर सुरक्षा बलों की हिंसक कार्रवाई ने राष्ट्रव्यापी मानवीय संकट पैदा कर दिया.

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देश के सबसे बड़े शहर यांगून में रहने वाली खिने ने बताया कि एक फरवरी को उसके पति को एक मित्र का फोन आया था, जिसमें सैन्य तख्तापलट की जानकारी दी गई थी. खिने ने बताया कि मार्च के अंत में प्रदर्शनकारियों पर सुरक्षा बलों ने घातक कार्रवाई शुरू कर दी थी, तभी एक दिन प्रदर्शनकारियों ने उनके घर आकर बताया कि उसके पति को गोली मार दी गई है, जिसके चलते उसकी मौत हो गई.

महिला ने कहा, ‘‘तख्तापलट से पहले, मैंने कभी सोचा तक नहीं था कि हमारा परिवार इस तरह बिखर जाएगा. ’’ असिस्टेंस एसोसिएशन फॉर पॉलिटिकल प्रिजनर्स के मुताबिक महिला का पति उन कम से कम 1,490 लोगों में शामिल था जिसकी सेना ने तख्तापलट के बाद हत्या कर दी. समूह के मुताबिक 11,775 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया.

अपने पति की मौत के बाद खिने अपने दो बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित है. बम विस्फोटों, गोलीबारी और तोपों से गोलाबारी के चलते 63 वर्षीय मी कहती है कि उसे पिछले साल भागने के लिए मजबूर होना पड़ा. मी ने कहा, ‘‘जब वहां थी गोलीबारी की आवाज सुनाई देती थी. ’’ संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी के मुताबिक सैन्य तख्तापलट के बाद से 17 जनवरी तक 4,05,700 लोग विस्थापित हो गये और 32,000 पड़ोसी देशों में पलायन कर गये.

मी ने कहा, ‘‘मैं चिंतित हूं और थक गई हूं.’’ सैन्य तख्तापलट से पहले, विशेषज्ञ बनने के लिए पढ़ाई कर रहे 28 वर्षीय सहायक सर्जन ने कहा, ‘‘सैन्य तख्तापलट के बाद हमने उनके मातहत काम नहीं करने का विकल्प चुना. ’’ फिजिशियंस फॉर हेल्थ राइट्स के मुताबिक सैन्य तख्तापलट के बाद से 30 स्वास्थ्यकर्मी मारे गये हैं और 286 गिरफ्तार किये गये हैं. अपने साथी शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों को सेना द्वारा सिर में गोली मारे जाते देखने के बाद 47 वर्षीय एक पूर्व शांति वार्ताकार ने कहा, ‘‘मैंने हथियार उठाने का फैसला किया.’’

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Published Date: January 30, 2022 7:59 PM IST