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पाकिस्तान में ईशनिंदा के केस में हिंदू शिक्षक को उम्रकैद, ईसाई संगठनों सुरक्षा की मांग करते हुए किया विरोध प्रदर्शन

पाकिस्तान में कोर्ट ने ईशनिंदा के मामले में एक हिंदू शिक्षक को उम्रकैद की सजा सुनाई, ईसाई संगठनों ने सरकार से धार्मिक अल्पसंख्यकों के जीवन और संपत्तियों की सुरक्षा की मांग की हुए विरोध प्रदर्शन किया

Published: February 9, 2022 1:14 AM IST

By India.com Hindi News Desk | Edited by Laxmi Narayan Tiwari

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पाकिस्तान के दक्षिणी सिंध प्रांत में एक स्थानीय अदालत ने मंगलवार को ईशनिंदा के मामले में एक हिंदू शिक्षक को उम्रकैद की सजा सुनाई.

कराची: पाकिस्तान के दक्षिणी सिंध प्रांत में एक स्थानीय अदालत ने मंगलवार को ईशनिंदा के मामले में एक हिंदू शिक्षक को उम्रकैद की सजा सुनाई. सिंध के घोटकी में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश मुर्तजा द्वारा शिक्षक नौतन लाल पर 50,000 पाकिस्तानी रुपये का जुर्माना भी लगाया गया. वहीं, पाकिस्तान में कई ईसाई नेतृत्व वाले कार्यकर्ताओं और अधिकार संगठनों ने सरकार से पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों के जीवन और संपत्तियों की बेहतर सुरक्षा की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किया.

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अदालत ने 2019 से जेल में बंद लाल को दोषी ठहराया. पिछले दो साल में लाल की जमानत अर्जी दो बार खारिज हुई. लाल को सितंबर 2019 में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल होने के बाद गिरफ्तार किया गया था, जिसमें एक स्कूली छात्र ने हिंदू शिक्षक पर ईशनिंदा का आरोप लगाया था. कुछ ही समय बाद, जमात-ए-अहले सुन्नत पार्टी के नेता अब्दुल करीम सईदी ने ईशनिंदा अधिनियम के तहत लाल के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी.

पाकिस्तान में ईसाइयों ने सुरक्षा की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया

पाकिस्तान में कई ईसाई नेतृत्व वाले कार्यकर्ताओं और अधिकार संगठनों ने सरकार से पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों के जीवन और संपत्तियों की बेहतर सुरक्षा की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किया. फ्राइडे टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, समूह ने पिछले हफ्ते पेशावर में पादरी विलियम सिराज की हत्या करने और पादरी पैट्रिक नईम को घायल करने वाले हमलावरों की गिरफ्तारी और उनके खिलाफ मुकदमा चलाने का आह्वान किया. मुत्ताहिदा मसिही काउंसिल के अध्यक्ष नोएल एजाज ने कराची प्रेस क्लब के सामने विरोध प्रदर्शन करते हुए कहा कि हिंसक हत्या के बाद ईसाई समुदाय के बीच असुरक्षा की भावना बढ़ गई है.

अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न में शामिल हमलावरों को आमतौर पर दंड नहीं मिल पाता

रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा, अगर पुलिस हमलावरों को गिरफ्तार करने में सफल हो जाती है और अपराधियों को उनके अपराधों के लिए दोषी ठहराया जाता है, तो हम बेहतर सुरक्षित महसूस करेंगे. यह एक दुखद वास्तविकता है कि अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न में शामिल हमलावरों को आमतौर पर दंड नहीं मिल पाता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रदर्शनकारी एलिस सैमुअल ने कहा कि जब भी अल्पसंख्यकों पर हमला किया जाता है, तो पुलिस और सरकार की निष्क्रियता से यह धारणा बनती है कि अल्पसंख्यक दूसरे दर्जे के नागरिक हैं और उनके साथ समान व्यवहार नहीं किया जाता है.

ईसाइयों पर उत्पीड़न और हमला करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता

एक अन्य प्रदर्शनकारी, आसिफ बास्तियन ने सरकार की प्रतिक्रिया पर अफसोस जताया, जिसके बारे में उन्होंने कहा कि कुछ लोगों का मानना है कि आतंकवादियों और चरमपंथियों को अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से ईसाइयों पर दंड से मुक्ति के साथ उत्पीड़न और हमला करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. उन्होंने कहा, धार्मिक अल्पसंख्यकों को बार-बार पीटा जाता है और हमें कोई सुरक्षा नहीं मिलती है. अगर हम इसके लिए लड़ाई लड़ते हैं, तो पुलिस हमें जेल में डाल देती है, मगर अल्पसंख्यकों के खिलाफ हमलों के जिम्मेदार लोगों पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है.

पुलिस ने सीधी कार्रवाई की और 200 ईसाइयों को गिरफ्तार किया

वॉयस फॉर जस्टिस के अध्यक्ष जोसेफ जानसेन ने 2015 में योहानाबाद चर्च हमलों के प्रतिशोध में दो मुसलमानों की हत्या के लिए सरकार की प्रतिक्रिया का हवाला दिया. इस मामले में पुलिस ने सीधी कार्रवाई की और 200 ईसाइयों को गिरफ्तार किया, अंतत: ईसाई समुदाय के 47 सदस्यों को आरोपी बनाया गया. जोसेफ ने मामले में सरकार की त्वरित कार्रवाई को देखते हुए दावा किया कि कम से कम 41 ईसाइयों ने पांच साल जेल में बिताए, जब तक कि वे अंतत: बरी नहीं हो गए. (इनपुट: भाषा-आईएएनएस)

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Published Date: February 9, 2022 1:14 AM IST