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संयुक्त राष्ट्र: रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध (Russia Ukraine war) के कारण वहां उत्पन्न मानवीय संकट की स्थिति को लेकर यूक्रेन (Ukraine) और उसके सहयोगी देशों द्वारा लाए गए प्रस्ताव पर भारत (India) गुरुवार को को संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में अनुपस्थित रहा. यूएन में भारतीय प्रतिनिधि ने कहा, भारत ने प्रस्ताव से परहेज किया क्योंकि अब हमें शत्रुता की समाप्ति और तत्काल मानवीय सहायता पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है. मसौदा प्रस्ताव इन चुनौतियों पर हमारे अपेक्षित फोकस को पूरी तरह से प्रतिबिंबित नहीं करता है.
बता दें कि यूक्रेन में रूसी आक्रमण पर भारत इससे पहले, सुरक्षा परिषद में दो मौकों पर और महासभा में एक बार प्रस्तावों पर मतदान से अनुपस्थित रहा था.
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने कहा, भारत ने प्रस्ताव से परहेज किया, क्योंकि अब हमें शत्रुता की समाप्ति और तत्काल मानवीय सहायता पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है. मसौदा प्रस्ताव इन चुनौतियों पर हमारे अपेक्षित ध्यान को पूरी तरह से प्रतिबिंबित नहीं करता है.
India abstained on the resolution since what we require now is to focus on cessation of hostilities & urgent humanitarian assistance. The draft resolution didn’t fully reflect our expected focus on these challenges: Ambassador TS Tirumurti, Permanent Representative of India to UN pic.twitter.com/tRy3bgvgZv
— ANI (@ANI) March 24, 2022
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने भारी सहमति से एक प्रस्ताव पारित करके यूक्रेन में मानवीय संकट के लिए रूस को दोषी ठहराया है. प्रस्ताव में तुरंत संघर्ष विराम लागू करने और लाखों नागरिकों समेत घरों, स्कूलों और अस्पतालों की सुरक्षा करने की अपील की गई है. बृहस्पतिवार को यह प्रस्ताव पांच के मुकाबले 140 मतों से पास हो गया. इस प्रस्ताव के विरोध में मतदान करने वाले पांच देशों में बेलारूस, सीरिया, उत्तर कोरिया और इरीट्रिया और रूस शामिल हैं. प्रस्ताव रूस की आक्रामकता के ‘गंभीर मानवीय परिणामों’ की निंदा करता है. प्रस्ताव मे कहा गया कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने पिछले कई दशकों में इतना बड़ा मानवीय संकट यूरोप में नहीं देखा. इसमें रूस की गोलाबारी, हवाई हमले और दक्षिणी शहर मारियुपोल सहित घनी आबादी वाले शहरों की ‘घेराबंदी’ की निंदा की गई है. प्रस्ताव में मानवीय सहायता के लिए निर्बाध पहुंच की मांग की गई है.
रूस ने इस प्रस्ताव को रूस विरोधी बताकर खारिज कर दिया है. रूस ने कहा कि प्रस्ताव का समर्थन करने वाले देश मानवीय स्थिति को लेकर चिंतित नहीं हैं, बल्कि वह सहायता का भी राजनीतिकरण करना चाहते हैं. इसके पहले एक रूसी प्रस्ताव पर मतदान के दौरान मास्को को हार का समाना करना पड़ा था. रूसी प्रस्ताव को स्वीकार किये जाने के लिए 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद में से कम से कम नौ मत चाहिए थे और स्थायी सदस्यों में से किसी की तरफ से वीटो नहीं होना चाहिए. स्थाई सदस्यों में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन और रूस शामिल हैं. लेकिन रूस को केवल एक मत चीन का मिला, जबकि 13 अन्य सदस्य देश अनुपस्थित रहे. प्रस्ताव भी पांच के मुकाबले 141 देशों के समर्थन से पास हो गया था और 35 देशों ने मतदान में भाग नहीं लिया था. मतदान गत दो मार्च को लाए गए प्रस्ताव पर हुए मतदान की तरह था. वह प्रस्ताव भी पांच के मुकाबले 141 देशों के समर्थन से पास हो गया था और 35 देशों ने मतदान में भाग नहीं लिया था.
ब्रिटेन की संयुक्त राष्ट्र में राजदूत बारबरा वुडवर्ड ने रूसी प्रस्ताव को ‘सनकी प्रयास’ बताया जो संकट का दोहन करने के लिए है। लेकिन रूसी राजदूत वासिली नेबेंजिया ने कहा कि रूसी प्रस्ताव अन्य देशों के मानवीय प्रस्ताव की तरह राजनीतिक नहीं है। अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड ने कहा कि रूस परिषद का इस्तेमाल करके अपनी क्रूरता पर पर्दा डालने का प्रयास कर रहा है.
संयुक्त राष्ट्र की 193 सदस्यीय महासभा ने यूक्रेन पर अपना 11वां आपातकालीन विशेष सत्र फिर से शुरू किया और यूक्रेन तथा उसके सहयोगी पश्चिमी देशों ने ‘यूक्रेन के खिलाफ आक्रमण के मानवीय परिणाम के मसौदा प्रस्ताव पर बृहस्पतिवार को मतदान किया. इस प्रस्ताव को 140 मतों के साथ मंजूर किया गया. वहीं, 38 देश अनुपस्थित रहे और पांच सदस्य देशों ने प्रस्ताव का विरोध किया. भारत ने उस प्रस्ताव के दौरान अनुपस्थित रहा था, जिसे संयुक्त राष्ट्र के 96 सदस्य देशों द्वारा सह-प्रायोजित किया गया था और इसके पक्ष में 141 मत पड़े जबकि 38 देश अनुपस्थित रहे और पांच देशों ने इसके खिलाफ मतदान किया.बुधवार को भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के 12 अन्य सदस्यों के साथ यूक्रेन में मानवीय संकट पर रूस द्वारा एक प्रस्ताव लाये जाने पर अनुपस्थित रहा था. यूएनएससी प्रस्ताव पारित करने में विफल रहा] क्योंकि उसे इसके लिए आवश्यक नौ मत नहीं मिल सके.
महासभा में यूक्रेन पर मसौदा प्रस्ताव यूक्रेन के खिलाफ विशेष रूप से नागरिकों और असैन्य प्रतिष्ठानों के खिलाफ रूस के किसी भी हमले को तत्काल रोकने की मांग करता है. मानवीय कर्मियों, पत्रकारों और महिलाओं तथा बच्चों सहित मुश्किल हालात में फंसे तमाम नागरिकों की रक्षा की मांग की गई है. सभी पक्षों से सशस्त्र संघर्ष और हिंसा से भाग रहे विदेशियों समेत सभी नागरिकों की हिफाजत की भी मांग की गई है. छात्रों को भी निर्बाध सुरक्षित रास्ता देने का आह्वान किया गया है.
प्रस्ताव में जोर दिया गया है कि यूक्रेन में शहरों विशेष रूप से मारियुपोल शहर की घेराबंदी ने नागरिकों के लिए मानवीय संकट को और बढ़ा दिया है और निकासी के प्रयासों में बाधा उत्पन्न हुई है. इसलिए, शहरों की इन घेराबंदी को तुरंत खत्म करने की मांग की गई है. प्रस्ताव में कहा गया है कि यूक्रेन में रूसी सेना के हमलों से इतने बड़ा मानवीय संकट पैदा हुआ है, जो दशकों में यूरोप ने नहीं देखा है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस के रूस से अपने सैन्य अभियान को रोकने का आह्वान भी प्रस्ताव में दोहराया गया है. सैन्य आक्रमण रोकने के साथ युद्ध विराम स्थापित करने और वार्ता के रास्ते पर लौटने का आह्वान किया गया है.
इससे पहले, 28 फरवरी को 11वां आपातकालीन विशेष सत्र शुरू होने के साथ संयुक्त राष्ट्र महासभा ने दो मार्च को यूक्रेन के खिलाफ आक्रामकता नामक एक प्रस्ताव को अपनाया था. इसमें यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की कड़ी निंदा की गई थी और मांग की गई थी कि मास्को पूरी तरह और बिना शर्त यूक्रेन के क्षेत्र से अपने सभी सैन्य बल को वापस बुलाए. (इनपुट: भाषा)
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