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दावोस (Davos) में आयोजित विश्व आर्थिक मंच (WEF) की वार्षिक बैठक के दौरान एक परिचर्चा में ईशा फाउंडेशन (Isha Foundation) के संस्थापक सद्गुरु (Sadhguru) ने ‘मिट्टी बचाने’ की अपील की. सद्गुरु ने कहा कि ‘समृद्ध मिट्टी हमारे लिए समृद्ध जीवन का आधार है. स्वस्थ मिट्टी और स्वस्थ जीवन का अटूट संबंध है.’ उन्होंने मिट्टी की उपजाऊ क्षमता को पुन:पोषित करने पर बल दिया, ताकि किसान लगातार बेहतर फसल उगाकर अच्छी आय प्राप्त कर सकें, जिससे खाद्य सुरक्षा के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों से लोगों के शहरों की ओर पलायन करने में कमी आएगी.
सद्गुरु ने यह भी कहा कि बिल्डरों को शहरों में भीड़ कम करने पर विचार करना चाहिए और इसके लिए उन्हें ऐसी जगहों का रुख करना चाहिए जहां प्रचुर मात्रा में भूमि उपलब्ध हो. उन्होंने कहा कि ऐसे स्थानों को लोगों के रहने के लिए विकसित करना चाहिए.
सद्गुरु ने प्रस्ताव दिया कि 50 एकड़ भूखंड पर करीब एक एकड़ में निर्माण किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘आप 50 से 100 मंजिल का निर्माण कर सकते हैं और बाकी के 49 एकड़ भूमि को वन क्षेत्र के साथ कृषि कार्य के लिए रख सकते हैं. इससे आप वहां रहने वाले लोगों के लिए पर्याप्त मात्रा में फल और सब्जी उगा सकते हैं.’
सद्गुरु वर्तमान में यूरोप, मध्य एशिया और मध्य पूर्व की 100 दिनों की 30,000 किलोमीटर लंबी मोटरसाइकिल यात्रा पर हैं, जिसका मकसद मिट्टी को बचाने के लिए नीति-संचालित कार्रवाई को लेकर वैश्विक सहमति के वास्ते दबाव डाला जा सके.
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