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अब सिर्फ 36 मिनट में मिलेगी कोरोना टेस्‍ट रिपोर्ट, इस यूनिवर्सिटी के साइंटिस्‍टों ने खोजी तकनीकी

सिंगापुर के वैज्ञानिकों ने कोविड-19 जांच के नतीजे 36 मिनट में देने वाली एक तकनीक विकसित की

Published: July 27, 2020 2:47 PM IST

By India.com Hindi News Desk | Edited by Laxmi Narayan Tiwari

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सिंगापुर: सिंगापुर के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है, जिससे प्रयोगशाला में होने वाली कोविड-19 की जांच के नतीजे केवल 36 मिनट में ही आ जाएंगे. बता दें कि कोरोना वायरस संक्रमण के जांच के लिए अभी जो टेस्‍ट की तकनीकी का उपयोग किया जा रह हैं, इनमें रिपोर्ट आने में कई घंटे लग जाते हैं.

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सिंगापुर में नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (एनटीसी) Nanyang Technological University (NTC) के ‘ली कॉंग चियान स्कूल ऑफ मेडिसिन’ Lee Kong Chien School of Medicine में वैज्ञानिकों ने विकसित की है. मौजूदा जांच प्रणाली में उच्च प्रशिक्षित तकनीकी कर्मचारियों की जरूरत होती है और नतीजे आने में कई घंटे लगते हैं.

विश्विवद्यालय ने सोमवार को कहा कि नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (एनटीसी) के ‘ली कॉंग चियान स्कूल ऑफ मेडिसिन’ में वैज्ञानिकों द्वारा विकसित इस नई तकनीक में कोविड-19 की प्रयोगशाला जांच में लगने वाले समय और लागत में सुधार के तरीके सुझाए गए हैं.

उसने कहा कि परीक्षण, जिसे पोर्टेबल उपकरणों के साथ किया जा सकता है, उसे समुदाय में एक ‘स्क्रीनिंग टूल’ के रूप में भी तैनात किया जा सकता है. उसने कहा कि नई तकनीक से कोविड-19 की प्रयोगशाला जांच की रिपोर्ट 36 मिनट में आ सकती है.

वर्तमान में, कोविड-19 परीक्षण के लिए सबसे संवेदनशील तरीका ‘पोलीमरेज़ चैन रिएक्शन (पीसीआर) नामक एक प्रयोगशाला तकनीक है, जिसमें एक मशीन वायरल आनुवंशिक कणों को बार-बार कॉपी उसकी जांच करती है, ताकि सार्स-सीओवी-2 वायरस के किसी भी लक्षण का पता लगाया जा सकता है. साथ ही आरएनए की जांच में सबसे अधिक समय लगता है, जिसमें रोगी के नमूने में अन्य घटकों से आरएनए को अलग किया जाता है. इस प्रक्रिया में जिन रसायनों की आवश्यकता होती है उसकी आपूर्ति दुनिया में कम है.

‘एनटीयू एलकेसीमेडिसन’ द्वारा विकसित नई तकनीक कई चरणों को एक-दूसरे से जोड़ती है और इससे मरीज के नमूने की सीधी जांच की जा सकती है. यह नतीजे आने के समय को कम और आरएनए शोधन रसायनों की जरूरत को खत्म करती है. इस नई तकनीक की विस्तृत जानकारियों वैज्ञानिक पत्रिका ‘जीन्स’ में प्रकाशित की गई है.

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Published Date: July 27, 2020 2:47 PM IST