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इस्लामाबाद: पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय ने ईशनिंदा के एक मामले में ईसाई महिला आसिया बीबी को दोषमुक्त करने के अपने फैसले के खिलाफ दाखिल पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया और आसिया बीबी को मामले से बरी करने के अपने फैसले को मंगलवार को बरकरार रखा. जियो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश आसिफ सईद खोसा की अगुआई वाली तीन सदस्यीय पीठ ने बीबी मामले में अक्टूबर में हुए फैसले के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी.
Pak media: Pakistan Supreme Court dismisses review petition filed against the acquittal of Aasia Bibi on blasphemy charges. (file pic) pic.twitter.com/nvutDFWASd
— ANI (@ANI) January 29, 2019
रद्द कर दी गई याचिका
अक्टूबर में सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आने के बाद इसके खिलाफ कट्टरपंथी इस्लामिक पार्टी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) की अगुआई में तीन दिवसीय व्यापक प्रदर्शन हुआ था. न्यायमूर्ति खोसा ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता से कहा, “योग्यता के आधार पर यह याचिका रद्द कर दी गई है. आप सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय में एक भी कमी नहीं निकाल पाए.” पांच बच्चों की मां आसिया बीबी ने पिछले साल रिहा होने से पहले मुल्तान की एक जेल में आठ साल अपने मृत्यु दंड का इंतजार किया. आसिया पर 2009 में पैगंबर मोहम्मद का अपमान करने का आरोप लगाया गया था और एक अदालत ने 2010 में उन्हें मृत्यु दंड की सजा सुनाई थी.
बता दें कि क्रिश्चियन धर्म को मानने वाली ईसाई महिला आसिया बीबी पर ईशनिंदा के आरोप लगे थे. तकरीबन 8 साल पहले आसिया बीबी पर पड़ोसियों के साथ हुए एक विवाद में इस्लाम का अपमान करने का आरोप लगा था. इस मामले में पांच बच्चों की मां 47 वर्षीय आसिया बार-बार खुद को बेगुनाह बताती रहीं. बावजूद इसके पिछले आठ साल में अधिकतर वक्त उन्होंने जेल में ही बिताया है. पाकिस्तान की शीर्ष अदालत ने गत वर्ष 31 अक्टूबर को फैसला सुनाते हुए उन्हें इस मामले से बरी कर दिया था. इसके बाद इस्लामी राजनीतिक दल तहरीक-ए-लबैक पाकिस्तान और अन्य संगठनों के नेतृत्व में पूरे पाकिस्तान में फैसले के खिलाफ प्रदर्शन शुरू हो गए थे.
देश से बाहर जाने का रास्ता साफ़
प्रदर्शनकारी मोहम्मद सालम ने अपने वकील गुलाम मुस्तफा चौधरी के माध्यम से फैसले के खिलाफ याचिका दायर कराई थी. वकील ने पीठ के सामने अपना पक्ष रखकर सुनवाई के लिए एक व्यापक पीठ का गठन कर इसमें इस्लामिक विशेषज्ञों को भी शामिल करने की मांग की थी. रिपोर्ट के अनुसार, याचिका में कहा गया था कि बीबी ने जांच के दौरान अपना अपराध स्वीकार कर लिया और प्राथमिकी दर्ज करने में देरी का मतलब यह नहीं कि बचाव पक्ष दोषी नहीं है. हालांकि, टीएलपी ने सोमवार रात इस मामले के लिए गठित शीर्ष अदालत की पीठ को खारिज करते हुए कहा था कि अगर बीबी को ‘न्यायिक राहत’ मिली तो वह विरोध प्रदर्शन करेगी लेकिन इस याचिका के खारिज होने के बाद आसिया बीबी की राह में पड़ने वाली आखिरी कानूनी बाधा भी दूर हो गई है और इससे अगर वह चाहें तो उनके देश से बाहर जाने का रास्ता भी साफ हो सकता है.
ईशनिंदा मामले में बरी आसिया बीबी, मौत की धमकियों के चलते छोड़ सकती हैं पाकिस्तान: सूत्र
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