
Ukraine-Russia Controversy: रूस-यूक्रेन बने एक दूसरे के दुश्मन, बढ़ता जा रहा है तीसरे विश्वयुद्ध का खतरा? जानिए वजह
रूस और यूक्रेन के बीच लगातार युद्ध का खतरा बढ़ता जा रहा है. दोनों देश एक-दूसरे के दुश्मन बनते जा रहे हैं, जिससे बढ़ता जा रहा है तीसरे विश्वयुद्ध का खतरा? जानिए इन दोनों देशों में बढ़ रहे विवाद की क्या है वजह....

Ukraine-Russia Controversy: रूस और यूक्रेन के बीच जबर्दस्त तनाव जारी है और इन दोनों देशों के बीच युद्ध जैसे हालात बन गए हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, पश्चिमी देशों और रूस के बीच फंसे यूक्रेन को नाटो (NATO Member State) का पूरा समर्थन मिल रहा है, जो रूस को खल खल रहा है. यूक्रेन की सीमा के निकट रूस के सैन्य जमावड़े की बात कही जा रही है. तो वहीं, रूस ने भी दावा किया है कि यूक्रेन ने अपनी आधी सेना यानि लगभग सवा लाख सैनिकों को यूक्रेन के रूसी समर्थक अलगाववादियों वाले पूर्वी हिस्से में लगा दिया है. ऐसे में यूक्रेन और रूस के बीच बढ़ता तनाव यूरोप में सुरक्षा को लेकर सबसे बड़ा संकट साबित हो सकता है और साथ ही यूरोप की अर्थव्यवस्था पर भी प्रभाव डाल सकता है.
Also Read:
रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका ने यूक्रेन में मौजूदा अपने दूतावास कर्मियों के परिवारों को देश छोड़ने का निर्देश दिया है और चीन को सख्त लहजे में कहा है कि वो इस विवाद से दूर रहे तो अच्छा होगा. एक तरफ जहां नाटो सदस्यों ने रूस को इस संबंध में चेतावनी दी है तो वहीं, दूसरी तरफ रूस ने यूक्रेन पर आरोप लगाया है कि पश्चिमी देश यूक्रेन को आधुनिक हथियारों की आपूर्ति’ कर रहे हैं और यूक्रेन लगातार सैन्य अभ्यास कर रहा है.
ये है रूस और यूक्रेन के बीच विवाद की बड़ी वजह
साल 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद यूक्रेन को स्वतंत्रता मिली थी और तभी ही क्रीमिया प्रायद्वीप, जो कभी यूक्रेन का हिस्सा हुआ करता था. इसे वर्ष 2014 में रूस ने यूक्रेन से अलग कर दिया था. कहा जाता है कि तभी से इसको लेकर दोनों में जबरदस्त तनाव है. यूक्रेन इस क्षेत्र को वापस पाना चाहता है जिसमें सबसे बड़ी बाधा रूस ही है. इस मुद्दे पर अमेरिका और पश्चिमी देश यूक्रेन के साथ हैं तो वहीं रूस को किसी का समर्थन नहीं प्राप्त है.
यूक्रेन से रूस के विवाद की वजह नार्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन भी है, क्योंकि इसके जरिए रूस जर्मनी समेत यूरोप के अन्य देशों को सीधे तेल और गैस सप्लाई कर सकेगा. लेकिन, रूस की वजह से यूक्रेन को इसके लिए जबरदस्त वित्तीय नुकसान उठाना होगा, क्योंकि अब तक यूक्रेन के रास्ते यूरोप को जाने वाली पाइपलाइन से यूक्रेन को जबरदस्त कमाई होती रही है और रूस के कब्ज के बाद नार्ड स्ट्रीम से ये कमाई खत्म हो जाएगी.
वहीं, दूसरी तरफ अमेरिका नहीं चाहता है कि जर्मनी नार्ड स्ट्रीम पाइपलाइन को मंजूरी दे. अमेरिका का कहना है कि इससे यूरोप और अधिक रूस पर निर्भर हो जाएगा. इस पाइपलाइन के लिए जर्मनी की मंजूरी इसलिए बेहद खास है क्योंकि यही यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और रूस की सप्लाई अधिकतर जर्मनी को ही होती है. इस लिहाज से क्रीमिया और नार्ड स्ट्रीम-2 दोनों ही इन दोनों देशों के लिए विवादों के घेरे में है.
1949 में सोवियत संघ का मुकाबला करने के लिए नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन (NATO) की स्थापना की गई थी. अमेरिका और ब्रिटेन समेत दुनिया के 30 देश इस संगठन के सदस्य हैं और यूक्रेन भी NATO में शामिल होने की कोशिश कर रहा है. रूस ने यूक्रेन से इस बाबत लीगल गारंटी तक मांगी है कि वो कभी नाटो का सदस्य नहीं बनेगा. रूस को डर है कि अगर यूक्रेन NATO का हिस्सा बन गया और आगे युद्ध हुआ तो गठबंधन के देश उस पर हमला कर सकते हैं. ऐसे में तीसरे विश्व युद्ध का खतरा बढ़ गया है.
नाटो सदस्य देश पर अगर कोई तीसरा देश हमला करता है तो NATO के सभी सदस्य देश एकजुट होकर उसका मुकाबला करेंगे. रूस की मांग है कि NATO यूरोप में अपने विस्तार पर रोक लगाए और अगर रूस के खिलाफ NATO यूक्रेन की जमीन का इस्तेमाल करता है तो उसे अंजाम भुगतना होगा. उधर रूस की चेतावनी पर NATO ने कहा है कि रूस को इस प्रक्रिया में दखल देने का अधिकार नहीं है.
बता दें कि यूरोप और अमेरिका के बीच इसे लेकर कई बैठकें हो चुकी हैं और अमेरिका बार-बार यूक्रेन के साथ खड़ा होने और पूरी मदद करने का वादा भी कर चुका है.अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन पहले ही साफ कर चुके हैं कि यदि रूस यूक्रेन पर हमला करने की गलती करता है तो उसको जबरदस्त आर्थिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा.
ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें. India.Com पर विस्तार से पढ़ें विदेश की और अन्य ताजा-तरीन खबरें